Tuesday 8 March 2016

अगर परिवार में कोई परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है

1) अगर परिवार में कोई परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तथा लगातार औषधि सेवन के पश्चात् भी 
स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तोwww.lifecanbechanged.comकिसी भी रविवार से आरम्भ करके लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का 
पेड़ा तथा एक लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उबार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को 
खिला दें। अवश्य ही इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति स्वस्थ महसूस करने लगेगा। अगर टोटके की अवधि में 
रोगी ठीक हो जाता है, तो भी प्रयोग को पूरा करना है, बीच में रोकना नहीं चाहिए।
2) अमावस्या को प्रात: मेंहदी का दीपक पानी मिला कर बनाएं। तेल का चौमुंहा दीपक बना कर 7 उड़द के 
दाने, कुछ सिन्दूर, 2 बूंद दही डाल कर 1 नींबू की दो फांकें शिवजी या भैरों जी के चित्र का पूजन कर, जला 
दें। महामृत्युजंय मंत्र की एक माला या बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ कर रोग-शोक दूर करने की भगवान से 
प्रार्थना कर, घर के दक्षिण की ओर दूर सूखे कुएं में नींबू सहित डाल दें। पीछे मुड़कर नहीं देखें। उस दिन 
एक ब्राह्मण -ब्राह्मणी को भोजन करा कर वस्त्रादि का दान भी कर दें। कुछ दिन तक पक्षियों, पशुओं और
रोगियों की सेवा तथा दान-पुण्य भी करते रहें। इससे घर की बीमारी, भूत बाधा, मानसिक अशांति 
निश्चय ही दूर होती है।
3) अगर बीमार व्यक्ति ज्यादा गम्भीर हो, तो जौ का 125 पाव (सवा पाव) आटा लें। उसमें साबुत काले 
तिल मिला कर रोटी बनाएं। अच्छी तरह सेंके, जिससे वे कच्ची न रहें। फिर उस पर थोड़ा सा तिल्ली का 
तेल और गुड़ डाल कर पेड़ा बनाएं और एक तरफ लगा दें। फिर उस रोटी को बीमार व्यक्ति के ऊपर से 7 
बार वार कर किसी भैंसे को खिला दें। पीछे मुड़ कर न देखें और न कोई आवाज लगाए। भैंसा कहाँ मिलेगा, 
इसका पता पहले ही मालूम कर के रखें। भैंस को रोटी नहीं खिलानी है, केवल भैंसे को ही श्रेष्ठ रहती है। 
शनि और मंगलवार को ही यह कार्य करें।
4) पीपल के वृक्ष को प्रात: 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। ऐसा किसी भी वार से शुरू करके 7 दिन तक करें। बीमार व्यक्ति को आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा।
5) घर से बीमारी जाने का नाम न ले रही हो, किसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र ले 
कर उसे हांडी में पिरो कर रोगी के पलंग के पाये पर बांधने से आश्चर्यजनक परिणाम मिलता है। उस दिन
से रोग समाप्त होना शुरू हो जाता है।
6) यदि आपका बच्चा बहुत जल्दी-जल्दी बीमार पड़ रहा हो और आप को लग रहा कि दवा काम नहीं कर 
रही है, डाक्टर बीमारी खोज नहीं पा रहे है। तो यह उपाय शुक्ल पक्ष की अष्टमी को करना चाहिये। आठ 
गोतमी चक्र ले और अपने पूजा स्थान में मां दुर्गा के श्रीविग्रह के सामने लाल रेशमी वस्त्र पर स्थान दें। मां 
भगवती का ध्यान करते हुये कुंकुम से गोमती चक्र पर तिलक करें। धूपबत्ती और दीपक प्रावलित करें।
धूपबत्ती की भभूत से भी गोमती चक्र को तिलक करें। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे की 11 माला जाप
करें। जाप के उपरांत लाल कपड़े में 3 गोमती चक्र बांधकर ताबीज का रूप देकर धूप, दीप दिखाकर बच्चे के
गले में डाल दें। शेष पांच गोमती चक्र पीले वस्त्र में बांधकर बच्चे के ऊपर से 11 बार उसार कर के किसी 
विराने स्थान में गड्डा खोदकर दबा दें। आपका बच्चा हमेशा सुखी रहेगा।

यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरन्तर अस्वस्थ्य रहता है, तो प्रथम गुरूवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के उपर से 7 बार उतार कर गाय को खिला दें।...

1- यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरन्तर अस्वस्थ्य रहता है, तो प्रथम गुरूवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के उपर से 7 बार उतार कर गाय को खिला दें। यह उपाय लगातार 3 गुरूवार करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा।
2-यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो सोमवार को या प्रदोष के दिन पूजा वाले 5 नारियल लें ! भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नमः” मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ! विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जांयेगी ।
3-छोटा बच्चा सोते समय डर जाता हो तो मंगलवार अथवा रविवार के दिन फिटकरी का एक टुकड़ा बच्चे के सिरहाने रख दें।
4-आपके लाख प्रयत्न करने के बाद भी आप अभी तक बेरोजगार हैं और आपमें ही भावना घर कर गई है तो यह करें-एक बिना दाग वाला पीला नींबू लें, उसके चार बराबर टुकड़े कर लें. जब दिन ढल जाये तब चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में उन्हे एक-एक फेंक दें और बिना पीछे मुड़े देखे घर आ जायें. आपको शीध्र ही लाभ होगा. यह प्रयोग सात दिन लगातार करें. आपका काम शीध्र बनेगा व आपको रोजगार मिलेगा।
5- चांदी अथवा तांबे के बर्तन में दूध भरकर रात को अपने बेड यानि पलंग के सिरहाने रखें। इस दूध को सूर्योदय से पहले पीपल या कीकर के पेड़ की जड़ों में चढ़ा दे।आपके मनचाहे काम बनते चले जाएंगें। 
6-अगर किसी शुभ काम से जाना हो, तो एक नींबू लें। उस पर 4 लौंग गाड़ दें तथा इस मंत्र का जाप करें "ॐ श्री हनुमंते नम:" 21बार जाप करने के बाद उसको साथ लेकर जाएं। काम में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी।
अगले रविवार को दीपावली पर किये जाने वाले टोटको की जानकारी ले जो बहुत उपयोगी हो सकते है।

लाल किताब के सिद्ध टोटके

1.       आर्थिक समस्या के छुटकारे के लिए :
यदि आप हमेशा आर्थिक समस्या से परेशान हैं तो इसके लिए आप 21 शुक्रवार 9 वर्ष से कम आयु की 5 कन्यायों को खीर व मिश्री का प्रसाद बांटें !
2.       घर और कार्यस्थल में धन वर्षा के लिए :
इसके लिए आप अपने घर, दुकान या शोरूम में एक अलंकारिक फव्वारा रखें ! या
एक मछलीघर जिसमें 8 सुनहरी व एक काली मछ्ली हो रखें ! इसको उत्तर या उत्तरपूर्व की ओर रखें ! यदि कोई मछ्ली मर जाय तो उसको निकाल कर नई मछ्ली लाकर उसमें डाल दें !
3.       परेशानी से मुक्ति के लिए :
आज कल हर आदमी किसी न किसी कारण से परेशान है ! कारण कोई भी हो आप एक तांबे के पात्र में जल भर कर उसमें थोडा सा लाल चंदन मिला दें ! उस पात्र को सिरहाने रख कर रात को सो जांय ! प्रातः उस जल को तुलसी के पौधे पर चढा दें ! धीरे-धीरे परेशानी दूर होगी !
4.      कुंवारी कन्या के विवाह हेतु :
१.       यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें ! भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः” मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ! विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जांयगी !
२.      प्रत्येक सोमवार को कन्या सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर “ऊं सोमेश्वराय नमः” का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढाये और वहीं मंदिर में बैठ कर रूद्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करे ! विवाह की सम्भावना शीघ्र बनती नज़र आयेगी
5.       व्यापार बढाने के लिए :
१.       शुक्ल पक्ष में किसी भी दिन अपनी फैक्ट्री या दुकान के दरवाजे के दोनों तरफ बाहर की ओर थोडा सा गेहूं का आटा रख दें ! ध्यान रहे ऐसा करते हुए आपको कोई देखे नही !
२.      पूजा घर में अभिमंत्रित श्र्री यंत्र रखें !
३.      शुक्र्वार की रात को सवा किलो काले चने भिगो दें ! दूसरे दिन शनिवार को उन्हें सरसों के तेल में बना लें ! उसके तीन हिस्से कर लें ! उसमें से एक हिस्सा घोडे या भैंसे को खिला दें ! दूसरा हिस्सा कुष्ठ रोगी को दे दें और तीसरा हिस्सा अपने सिर से घडी की सूई से उल्टे तरफ तीन बार वार कर किसी चौराहे पर रख दें ! यह प्रयोग 40 दिन तक करें ! कारोबार में लाभ होगा !
6.       लगातार बुखार आने पर :
१.       यदि किसी को लगातार बुखार आ रहा हो और कोई भी दवा असर न कर रही हो तो आक की जड लेकर उसे किसी कपडे में कस कर बांध लें ! फिर उस कपडे को रोगी के कान से बांध दें ! बुखार उतर जायगा !
२.      इतवार या गुरूवार को चीनी, दूध, चावल और पेठा (कद्दू-पेठा, सब्जी बनाने वाला) अपनी इच्छा अनुसार लें और उसको रोगी के सिर पर से वार कर किसी भी धार्मिक स्थान पर, जहां पर लंगर बनता हो, दान कर दें !
३.      यदि किसी को टायफाईड हो गया हो तो उसे प्रतिदिन एक नारियल पानी पिलायें ! कुछ ही दिनों में आराम हो जायगा !
7.       नौकरी जाने का खतरा हो या ट्रांसफर रूकवाने के लिए :
पांच ग्राम डली वाला सुरमा लें ! उसे किसी वीरान जगह पर गाड दें ! ख्याल रहे कि जिस औजार से आपने जमीन खोदी है उस औजार को वापिस न लायें ! उसे वहीं फेंक दें दूसरी बात जो ध्यान रखने वाली है वो यह है कि सुरमा डली वाला हो और एक ही डली लगभग 5 ग्राम की हो ! एक से ज्यादा डलियां नहीं होनी चाहिए !
8.        कारोबार में नुकसान हो रहा हो या कार्यक्षेत्र में झगडा हो रहा हो तो :
यदि उपरोक्त स्थिति का सामना हो तो आप अपने वज़न के बराबर कच्चा कोयला लेकर जल प्रवाह कर दें ! अवश्य लाभ होगा !
9.       मुकदमें में विजय पाने के लिए :
यदि आपका किसी के साथ मुकदमा चल रहा हो और आप उसमें विजय पाना चाहते हैं तो थोडे से चावल लेकर कोर्ट/कचहरी में जांय और उन चावलों को कचहरी में कहीं पर फेंक दें ! जिस कमरे में आपका मुकदमा चल रहा हो उसके बाहर फेंकें तो ज्यादा अच्छा है ! परंतु याद रहे आपको चावल ले जाते या कोर्ट में फेंकते समय कोई देखे नहीं वरना लाभ नहीं होगा ! यह उपाय आपको बिना किसी को पता लगे करना होगा !
10.       धन के ठहराव के लिए :
आप जो भी धन मेहनत से कमाते हैं उससे ज्यादा खर्च हो रहा हो अर्थात घर में धन का ठहराव न हो तो ध्यान रखें को आपके घर में कोई नल लीक न करता हो ! अर्थात पानी टप–टप टपकता न हो ! और आग पर रखा दूध या चाय उबलनी नहीं चाहिये ! वरना आमदनी से ज्यादा खर्च होने की सम्भावना रह्ती है !
11.       मानसिक परेशानी दूर करने के लिए :
रोज़ हनुमान जी का पूजन करे व हनुमान चालीसा का पाठ करें ! प्रत्येक शनिवार को शनि को तेल चढायें ! अपनी पहनी हुई एक जोडी चप्पल किसी गरीब को एक बार दान करें !
12.       बच्चे के उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु के लिए :
१.       एक काला रेशमी डोरा लें ! “ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करते हुए उस डोरे में थोडी थोडी दूरी पर सात गांठें लगायें ! उस डोरे को बच्चे के गले या कमर में बांध दें !
२.      प्रत्येक मंगलवार को बच्चे के सिर पर से कच्चा दूध 11 बार वार कर किसी जंगली कुत्ते को शाम के समय पिला दें ! बच्चा दीर्घायु होगा !
13.       किसी रोग से ग्रसित होने पर :
सोते समय अपना सिरहाना पूर्व की ओर रखें ! अपने सोने के कमरे में एक कटोरी में सेंधा नमक के कुछ टुकडे रखें ! सेहत ठीक रहेगी !
14.       प्रेम विवाह में सफल होने के लिए :
यदि आपको प्रेम विवाह में अडचने आ रही हैं तो :
शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ती या फोटो के आगे “ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें ! इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें ! तीन महीने तक हर गुरूवार को मंदिर में प्रशाद चढांए और विवाह की सफलता के लिए प्रार्थना करें !
15.       नौकर न टिके या परेशान करे तो :
हर मंगलवार को बदाना (मीठी बूंदी) का प्रशाद लेकर मंदिर में चढा कर लडकियों में बांट दें ! ऐसा आप चार मंगलवार करें !
16.       बनता काम बिगडता हो, लाभ न हो रहा हो या कोई भी परेशानी हो तो :
हर मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में बदाना (मीठी बूंदी) चढा कर उसी प्रशाद को मंदिर के बाहर गरीबों में बांट दें !
17.       यदि आपको सही नौकरी मिलने में दिक्कत आ रही हो तो :
१.       कुएं में दूध डालें! उस कुएं में पानी होना चहिए !
२.      काला कम्बल किसी गरीब को दान दें !
३.      6 मुखी रूद्राक्ष की माला 108 मनकों वाली माला धारण करें जिसमें हर मनके के बाद चांदी के टुकडे पिरोये हों !
18.       अगर आपका प्रमोशन नहीं हो रहा तो :
१.       गुरूवार को किसी मंदिर में पीली वस्तुये जैसे खाद्य पदार्थ, फल, कपडे इत्यादि का दान करें !
२.      हर सुबह नंगे पैर घास पर चलें !
19.       पति को वश में करने के लिए :
यह प्रयोग शुक्ल  पक्ष में करना चाहिए ! एक पान का पत्ता लें ! उस पर चंदन और केसर का पाऊडर मिला कर रखें ! फिर दुर्गा माता जी की फोटो के सामने बैठ कर दुर्गा स्तुति में से चँडी स्त्रोत का पाठ 43 दिन तक करें ! पाठ करने के बाद चंदन और केसर जो पान के पत्ते पर रखा था, का तिलक अपने माथे पर लगायें ! और फिर तिलक लगा कर पति के सामने जांय ! यदि पति वहां पर न हों तो उनकी फोटो के सामने जांय ! पान का पता रोज़ नया लें जो कि साबुत हो कहीं से कटा फटा न हो ! रोज़ प्रयोग किए गए पान के पत्ते को अलग किसी स्थान पर रखें ! 43 दिन के बाद उन पान के पत्तों को जल प्रवाह कर दें ! शीघ्र समस्या का समाधान होगा 

ऊपरी हवा पहचान और निदान

प्रायः सभी धर्मग्रंथों में ऊपरी हवाओंनजर दोषों आदि का उल्लेख है। कुछ ग्रंथों में इन्हेंबुरी आत्मा कहा गया है तो कुछ अन्य में भूत-प्रेत और जिन्न।
यहां ज्योतिष के आधार पर नजर दोष का विश्लेषण प्रस्तुत है।
ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार गुरु पितृदोषशनि यमदोषचंद्र  शुक्र जल देवी दोषराहुसर्प  प्रेत दोषमंगल शाकिनी दोषसूर्य देव दोष एवं बुध कुल देवता दोष का कारकहोता है। राहुशनि  केतु ऊपरी हवाओं के कारक ग्रह हैं। जब किसी व्यक्ति के लग्न(शरीर), गुरु (ज्ञान), त्रिकोण (धर्म भावतथा द्विस्वभाव राशियों पर पाप ग्रहों का प्रभावहोता हैतो उस पर ऊपरी हवा की संभावना होती है।

 
लक्षण

 
नजर दोष से पीड़ित व्यक्ति का शरीर कंपकंपाता रहता है। वह अक्सर ज्वरमिरगीआदि से ग्रस्त रहता है।


 
कब और किन स्थितियों में डालती हैं ऊपरी हवाएं किसी व्यक्ति पर अपना प्रभाव?

  
* जब कोई व्यक्ति दूध पीकर या कोई सफेद मिठाई खाकर किसी चौराहे पर जाता हैतबऊपरी हवाएं उस पर अपना प्रभाव डालती हैं। गंदी जगहों पर इन हवाओं का वास होता है,इसीलिए ऐसी जगहों पर जाने वाले लोगों को ये हवाएं अपने प्रभाव में ले लेती हैं। इनहवाओं का प्रभाव रजस्वला स्त्रियों पर भी पड़ता है। कुएंबावड़ी आदि पर भी इनका वासहोता है। विवाह  अन्य मांगलिक कार्यों के अवसर पर ये हवाएं सक्रिय होती हैं। इसकेअतिरिक्त रात और दिन के १२ बजे दरवाजे की चौखट पर इनका प्रभाव होता है।

  
दूध  सफेद मिठाई चंद्र के द्योतक हैं। चौराहा राहु का द्योतक है। चंद्र राहु का शत्रु है।अतः जब कोई व्यक्ति उक्त चीजों का सेवन कर चौराहे पर जाता हैतो उस पर ऊपरीहवाओं के प्रभाव की संभावना रहती है।

  
कोई स्त्री जब रजस्वला होती हैतब उसका चंद्र  मंगल दोनों दुर्बल हो जाते हैं। येदोनों राहु  शनि के शत्रु हैं। रजस्वलावस्था में स्त्री अशुद्ध होती है और अशुद्धता राहु कीद्योतक है। ऐसे में उस स्त्री पर ऊपरी हवाओं के प्रकोप की संभावना रहती है।

  
कुएं एवं बावड़ी का अर्थ होता है जल स्थान और चंद्र जल स्थान का कारक है। चंद्र राहुका शत्रु हैइसीलिए ऐसे स्थानों पर ऊपरी हवाओं का प्रभाव होता है।

  
* जब किसी व्यक्ति की कुंडली के किसी भाव विशेष पर सूर्यगुरुचंद्र  मंगल का प्रभावहोता हैतब उसके घर विवाह  मांगलिक कार्य के अवसर आते हैं। ये सभी ग्रह शनि राहु के शत्रु हैंअतः मांगलिक अवसरों पर ऊपरी हवाएं व्यक्ति को परेशान कर सकती हैं।

  
* दिन  रात के १२ बजे सूर्य  चंद्र अपने पूर्ण बल की अवस्था में होते हैं। शनि  राहुइनके शत्रु हैंअतः इन्हें प्रभावित करते हैं। दरवाजे की चौखट राहु की द्योतक है। अतःजब राहु क्षेत्र में चंद्र या सूर्य को बल मिलता हैतो ऊपरी हवा सक्रिय होने की संभावनाप्रबल होती है।

  
मनुष्य की दायीं आंख पर सूर्य का और बायीं पर चंद्र का नियंत्रण होता है। इसलिएऊपरी हवाओं का प्रभाव सबसे पहले आंखों पर ही पड़ता है।
यहां ऊपरी हवाओं से संबद्ध ग्रहोंभावों आदि का विश्लेषण प्रस्तुत है।
राहु-केतु - जैसा कि पहले उल्लेख किया गया हैशनिवत राहु ऊपरी हवाओं का कारक है।यह प्रेत बाधा का सबसे प्रमुख कारक है। इस ग्रह का प्रभाव जब भी मनशरीरज्ञान,धर्मआत्मा आदि के भावों पर होता हैतो ऊपरी हवाएं सक्रिय होती हैं।
शनि - इसे भी राहु के समान माना गया है। यह भी उक्त भावों से संबंध बनाकर भूत-प्रेतपीड़ा देता है।
चंद्र - मन पर जब पाप ग्रहों राहु और शनि का दूषित प्रभाव होता है और अशुभ भावस्थित चंद्र बलहीन होता हैतब व्यक्ति भूत-प्रेत पीड़ा से ग्रस्त होता है।
गुरु - गुरु सात्विक ग्रह है। शनिराहु या केतु से संबंध होने पर यह दुर्बल हो जाता है।इसकी दुर्बल स्थिति में ऊपरी हवाएं जातक पर अपना प्रभाव डालती हैं।
लग्न - यह जातक के शरीर का प्रतिनिधित्व करता है। इसका संबंध ऊपरी हवाओं केकारक राहुशनि या केतु से हो या इस पर मंगल का पाप प्रभाव प्रबल होतो व्यक्ति केऊपरी हवाओं से ग्रस्त होने की संभावना बनती है।
पंचम पंचम भाव से पूर्व जन्म के संचित कर्मों का विचार किया जाता है। इस भाव परजब ऊपरी हवाओं के कारक पाप ग्रहों का प्रभाव पड़ता हैतो इसका अर्थ यह है कि व्यक्तिके पूर्व जन्म के अच्छे कर्मों में कमी है। अच्छे कर्म अल्प होंतो प्रेत बाधा योग बनता है।
अष्टम इस भाव को गूढ़ विद्याओं  आयु तथा मृत्यु का भाव भी कहते हैं। इसमें चंद्र औरपापग्रह या ऊपरी हवाओं के कारक ग्रह का संबंध प्रेत बाधा को जन्म देता है।
नवम यह धर्म भाव है। पूर्व जन्म में पुण्य कर्मों में कमी रही होतो यह भाव दुर्बल होताहै।
राशियां जन्म कुंडली में द्विस्वभाव राशियों मिथुनकन्या और मीन पर वायु तत्व ग्रहोंका प्रभाव होतो प्र्रेत बाधा होती है।
वार शनिवारमंगलवाररविवार को प्रेत बाधा की संभावनाएं प्रबल होती हैं।
तिथि - रिक्ता तिथि एवं अमावस्या प्रेत बाधा को जन्म देती है।
नक्षत्र वायु संज्ञक नक्षत्र प्रेत बाधा के कारक होते हैं।
योग विष्कुंभव्याघातऐंद्रव्यतिपातशूल आदि योग प्रेत बाधा को जन्म देते हैं।
करण विष्टिकिस्तुन और नाग करणों के कारण व्यक्ति प्रेत बाधा से ग्रस्त होता है।
दशाएं मुख्यतः शनिराहुअष्टमेश  राहु तथा केतु से पूर्णतः प्रभावित ग्रहों कीदशांतर्दशा में व्यक्ति के भूत-प्रेत बाधाओं से ग्रस्त होने की संभावना रहती है।
  युति
किसी स्त्री के सप्तम भाव में शनिमंगल और राहु या केतु की युति होतो उसके पिशाचपीड़ा से ग्रस्त होने की संभावना रहती है।
गुरु नीच राशि अथवा नीच राशि के नवांश में होया राहु से युत हो और उस पर पाप ग्रहोंकी दृष्टि होतो जातक की चांडाल प्रवृत्ति होती है।
पंचम भाव में शनि का संबंध बने तो व्यक्ति प्रेत एवं क्षुद्र देवियों की भक्ति करता है।

ऊपरी हवाओं के कुछ अन्य मुख्य ज्योतिषीय योग

    
* यदि लग्नपंचमषष्ठअष्टम या नवम भाव पर राहुकेतुशनिमंगलक्षीण चंद्रआदि का प्रभाव होतो जातक के ऊपरी हवाओं से ग्रस्त होने की संभावना रहती है। यदिउक्त
    
* ग्रहों का परस्पर संबंध होतो जातक प्रेत आदि से पीड़ित हो सकता है।
    
* यदि पंचम भाव में सूर्य और शनि की युति होसप्तम में क्षीण चंद्र हो तथा द्वादश में गुरुहोतो इस स्थिति में भी व्यक्ति प्रेत बाधा का शिकार होता है।
    
* यदि लग्न पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि होलग्न निर्बल होलग्नेश पाप स्थान में हो अथवाराहु या केतु से युत होतो जातक जादू-टोने से पीड़ित होता है।
    
* लग्न में राहु के साथ चंद्र हो तथा त्रिकोण में मंगलशनि अथवा कोई अन्य क्रूर ग्रहहोतो जातक भूत-प्रेत आदि से पीड़ित होता है।
    
* यदि षष्ठेश लग्न में होलग्न निर्बल हो और उस पर मंगल की दृष्टि होतो जातकजादू-टोने से पीड़ित होता है। यदि लग्न पर किसी अन्य शुभ ग्रह की दृष्टि  होतोजादू-टोने से पीड़ित होने की संभावना प्रबल होती है। षष्ठेश के सप्तम या दशम में स्थितहोने पर भी जातक जादू-टोने से पीड़ित हो सकता है।
    
* यदि लग्न में राहुपंचम में शनि तथा अष्टम में गुरु होतो जातक प्रेत शाप से पीड़ितहोता है।

                
ऊपरी हवाओं के सरल उपाय      

     
ऊपरी हवाओं से मुक्ति हेतु शास्त्रों में अनेक उपाय बताए गए हैं। अथर्ववेद में इस हेतुकई मंत्रों  स्तुतियों का उल्लेख है। आयुर्वेद में भी इन हवाओं से मुक्ति के उपायों काविस्तार से वर्णन किया गया है। यहां कुछ प्रमुख सरल एवं प्रभावशाली उपायों काविवरण प्रस्तुत है।

     
* ऊपरी हवाओं से मुक्ति हेतु हनुमान चालीसा का पाठ और गायत्री का जप तथा हवनकरना चाहिए। इसके अतिरिक्त अग्नि तथा लाल मिर्ची जलानी चाहिए।
    
* रोज सूर्यास्त के समय एक साफ-सुथरे बर्तन में गाय का आधा किलो कच्चा दूध लेकरउसमें शुद्ध शहद की नौ बूंदें मिला लें। फिर स्नान करकेशुद्ध वस्त्र पहनकर मकान कीछत से नीचे तक प्रत्येक कमरेजीनेगैलरी आदि में उस दूध के छींटे देते हुए द्वार तकआएं और बचे हुए दूध को मुख्य द्वार के बाहर गिरा दें। क्रिया के दौरान इष्टदेव का स्मरणकरते रहें। यह क्रिया इक्कीस दिन तक नियमित रूप से करेंघर पर प्रभावी ऊपरी हवाएंदूर हो जाएंगी।
    
* रविवार को बांह पर काले धतूरे की जड़ बांधेंऊपरी हवाओं से मुक्ति मिलेगी।
    
* लहसुन के रस में हींग घोलकर आंख में डालने या सुंघाने से पीड़ित व्यक्ति को ऊपरीहवाओं से मुक्ति मिल जाती है।
    
* ऊपरी बाधाओं से मुक्ति हेतु निम्नोक्त मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए।
    
          ष् ओम नमो भगवते रुद्राय नमः कोशेश्वस्य नमो ज्योति पंतगाय नमो रुद्रायनमः सिद्धि स्वाहा।श्श्
    
* घर के मुख्य द्वार के समीप श्वेतार्क का पौधा लगाएंघर ऊपरी हवाओं से मुक्त रहेगा।
    
* उपले या लकड़ी के कोयले जलाकर उसमें धूनी की विशिष्ट वस्तुएं डालें और उससेउत्पन्न होने वाला धुआं पीड़ित व्यक्त्ि को सुंघाएं। यह क्रिया किसी ऐसे व्यक्ति सेकरवाएं जो अनुभवी हो और जिसमें पर्याप्त आत्मबल हो।
    
* प्रातः काल बीज मंत्र झ्क्लींश् का उच्चारण करते हुए काली मिर्च के नौ दाने सिर परसे घुमाकर दक्षिण दिशा की ओर फेंक देंऊपरी बला दूर हो जाएगी।
    
* रविवार को स्नानादि से निवृत्त होकर काले कपड़े की छोटी थैली में तुलसी के आठपत्तेआठ काली मिर्च और सहदेई की जड़ बांधकर गले में धारण करेंनजर दोष बाधा सेमुक्ति मिलेगी।
    
* निम्नोक्त मंत्र का १०८ बार जप करके सरसों का तेल अभिमंत्रित कर लें और उससेपीड़ित व्यक्ति के शरीर पर मालिश करेंव्यकित पीड़ामुक्त हो जाएगा।
    
मंत्र - ओम नमो काली कपाला देहि देहि स्वाहा।
   
     * ऊपरी हवाओं के शक्तिषाली होने की स्थिति में शाबर मंत्रों का जप एवं प्रयोग कियाजा सकता है। प्रयोग करने के पूर्व इन मंत्रों का दीपावली की रात को अथवा होलिका दहनकी रात को जलती हुई होली के सामने या फिर श्मषान में १०८ बार जप कर इन्हें सिद्धकर लेना चाहिए। यहां यह उल्लेख कर देना आवष्यक है कि इन्हें सिद्ध करने के इच्छुकसाधकों में पर्याप्त आत्मबल होना चाहिएअन्यथा हानि हो सकती है।
  
     * निम्न मंत्र से थोड़ा-सा जीरा  बार अभिमंत्रित कर रोगी के शरीर से स्पर्श कराएंऔर उसे अग्नि में डाल दें। रोगी को इस स्थिति में बैठाना चाहिए कि उसका धूंआ उसकेमुख के सामने आये। इस प्रयोग से भूत-प्रेत बाधा की निवृत्ति होती है।
       
मंत्र -  जीरा जीरा महाजीरा जिरिया चलाय। जिरिया की शक्ति से फलानी चलिजाय॥ जीये तो रमटले मोहे तो मशान टले। हमरे जीरा मंत्र से अमुख अंग भूत चले॥ जायहुक्म पाडुआ पीर की दोहाई॥
   
      * एक मुट्ठी धूल को निम्नोक्त मंत्र से  बार अभिमंत्रित करें और नजर दोष से ग्रस्तव्यक्ति पर फेंकेंव्यक्ति को दोष से मुक्ति मिलेगी।
      मंत्र - तह कुठठ इलाही का बान। कूडूम की पत्ती चिरावन। भाग भाग अमुक अंक सेभूत। मारुं धुलावन कृष्ण वरपूत। आज्ञा कामरु कामाख्या। हारि दासीचण्डदोहाई।
    
       * थोड़ी सी हल्दी को  बार निम्नलिखित मंत्र से अभिमंत्रित करके अग्नि में इसतरह छोड़ें कि उसका धुआं रोगी के मुख की ओर जाए। इसे हल्दी बाण मंत्र कहते हैं।
      
मंत्र - हल्दी गीरी बाण बाण को लिया हाथ उठाय। हल्दी बाण से नीलगिरी पहाड़थहराय॥ यह सब देख बोलत बीर हनुमान। डाइन योगिनी भूत प्रेत मुंड काटौ तान॥आज्ञा कामरु कामाक्षा माई। आज्ञा हाड़ि की चंडी की दोहाई॥
   
        *जौतिलसफेद सरसोंगेहूंचावलमूंगचनाकुषशमीआम्रडुंबरक पत्ते औरअषोकधतूरेदूर्वाआक  ओगां की जड़ को मिला लें और उसमें दूधघीमधु और गोमूत्रमिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। फिर संध्या काल में हवन करें और निम्न मंत्रों का १०८बार जप कर इस मिश्रण से १०८ आहुतियां दें।
       
मंत्र - मंत्र रू ओम नमः भवे भास्कराय आस्माक अमुक सर्व ग्रहणं पीड़ा नाशनं कुरु-कुरु स्वाहा।