Tuesday, 8 March 2016

ग्रह खराब होने के संकेत...

प्रत्येक कुंडली में पीङित ग्रह जब गोचर अथवा अपनी महादशा , अन्तर्दशा द्वारा गलत प्रभाव डालना आरंभ करता है तो उसका प्रभाव पारिवारिक संबंधों , मानवीय जीवन पर दृष्टिगोचर होता है । हालांकि कोई ग्रह कुंडली में अत्यंत दूषित स्थिति में हो तो उसका प्रभाव दीर्घकालीन होता है किंतु कुछ कुप्रभाव तात्कालिक रूप से दिखायी देने लगते है ।
चन्द्रमा - यदि गोचर में पीङित होने लगे तो माँ का स्वास्थ्य गङबङाने लगता है और व्यक्ति को गुस्सा अाना आदि कारण दिखायी देने लगते है ।
मंगल - जब आप इलेक्ट्रोनिक उपकरण ठीक करवाते थकने लगे, वाहन बार बार खराब हो, भूमि विवाद आरंभ हो ।
बुध - बहन, बुआ, मौसी से संबंध खराब हो, सूंघने की शक्ति समाप्त होना अथवा नसों संबधित समस्या का सामना करना, दाँत खराब होना ।
गुरू - जब खराब होने लगे तो बुजुर्गों के साथ संबंध बिगाङता है साथ ही अचानक आर्थिक अवरोध आने लगते है ।
शुक्र - वैवाहिक जीवन में परेशानियाँ पैदा होना तथा प्रजनन अंगो से संबधित कष्टों का सामना होने लगे ।
शनि - इनके खराब होने की स्थिति में जूते टूट जाना, नीची जाति से संबंध खराब होना और लोहानिर्मित अथवा काली वस्तु खो जाना ।
सूर्य - पिता के साथ व्यवहार बिगङना ,सरदर्द रहना ।
राहु - उच्चाटन, मानसिक बाधा, कलह , आत्महत्या का मन करना, हानि, पतन ।
केतु - शरीर के किसी अंग का सङना, मवाद पङना ।
इस प्रकार हमें दैनिक जीवन में ग्रह के खराब होने का संकेत मिल जाता है । जिस ग्रह से संबंधित इशारे जीवन में होने लगे तुरंत उसका आवश्यक उपाय आरंभ कर देना चाहिए ।
जीवन में रोगों की तरह ही इन पीङाओं का सिद्धांत है कि जितना जल्दी आप उपाय शुरू करेंगे उतना ही आपके समस्या से बचने का अवसर होगा । आजकल मेडिकल साइंस भी जन्म कुंडली देखकर प्रतिपादित होने लगी है तो हमें भी इस विषय में ज्योतिष को मान्यता देनी चाहिए । ज्योतिष के नए प्रशंसकों हेतु यह आश्चर्यजनक तथ्य हो सकता है कि 95% मामलों में मनुष्य के शरीर के उसी अंग में पीङा होगी जिसपर कि मंगल की दृष्टि होगी ।

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