Tuesday 8 March 2016

जानिए केवल जन्म कुंडली को देख कर मास-पक्ष-साल इत्यादी पता का करने का आसान तरीका।

जानिए केवल जन्म कुंडली को देख कर मास-पक्ष-साल इत्यादी पता का करने का आसान तरीका।
वर्ष मालूम करना- अभी की कुन्डली(प्रश्ण कुंडली) में देखो कि सनीचर कहाँ बैठा है।
उदाहरण:- 28/04/2014 की कुन्डली देखने पर पता चला कि सनीचर तुला राशी में बैठा है। और जब कुन्डली देखा तो पता चला कि सनीचर वृश्चिक राशी में बैठा है[ सनीचर १ राशी में अढ़ाई साल रहता है व राशी चक्कर(१२ राशी) को लगभग ३० साल में पूरा करता है] सो वृश्चिक व तुला में ११ राशी का फ्रक़ मालूम हुआ( सनीचर जनम कुंडली में जिस राशी बैठा हो उस राशी को छोड़ कर अगले राशी से आज की कुंडली में सनीचर जिस राशी में बैठा हो तक की राशी तक गिनो). सनीचर को राशी में अढ़ाई साल मान कर गुणा(Multiply) किया [ 2.5×11=27.5] तो साढ़े सत्ताईस साल फ़रक मालूम हुआ जिसका मतलब जातक का जनम( 26-27साल का है)1986/87 का होगा/ अगर अधेड़ उम्र सा दिखे तो 1956/57(87 में 30 घटा-minus दो, क्योंकि हर 30 साल बाद उसी राशी में आयेगा जिसमें वह बैठा है)अगर बूढ़ा हो तो 1926/27 का जनम होना चाहिये पर इसमें एकाध साल का फऱक हो सकता है॥
सही वर्ष मालूम के करने के लिए अब गुरू की मदद लो गुरू १ राशी को एक साल में पूरा करता है, जनम कुंडली में गुरू मीन का है और राहु के साथ है। आज की कुडली में गुरू मिथुन का है॥ जनम कुंडली में सही वर्ष पता करने के लिये बाकी गरहो को स्थिर(सुरज+शुकर11,शनीचर8, चंदर6,बुध+मंगल12,केतु3 व राहु9 में)रखकर गुरू को उलटा घुमाया- तो गुरू को 1987 में मीन राशी में पहुचाने पर पता चला कि गुरू मीन में 1987 में राहू के साथ था/ सो अब 1986/87 की दुविधा समाप्त हो गई, पक्का हो गया कि गुरू मीन में राहु के साथ 1987 में था॥(कुंडली मिल गयी)
माह का पता करना-बैसाख का सूरज घर पहिले(मेष राशी) में(लाल किताब गुटका), सुरज मेष में बैसाख में रहता है सो वृष में सूरज जेष्ठ महीने का हुआ॥
सूरज जनम कुंडली में वृष में है, सूरज एक राशी में एक महीना रहता है। वृष(2 राशी) में सूरज बैसाख से अगला महीना जेष्ठ का हुआ/ सो जातक का जन्म जेष्ठ महीना माना॥
सो जनम जेष्ठ महीना 1987ईसवी का स्पष्ट हुआ.
(संक्राति में सूरज राशी बदल लेता है, संक्राति अंग्रेजी महीने की 12 से 17 के बीच होता है)
जन्म तिथी व पक्ष पता करना- कुंडली में सुरज व चंदर की दुरी का पता करो(जहाँ सूरज वहाँ अमावस जानो क्यो कि अमावस में सूरज व चंदर साथ होते हैं) यहाँ सूरज(वृष) से चंदर(धनु) तक सात ख़ानो(राशी) का फर्क हुआ/ चंदर एक राशी में अढ़ाई तिथी रहता है, 2.5×7=17.5 साड़े सतारा तिथी हुई(30 को अमावस व 15 को पुरनमासी कहते है) सो १७.५ का मतलब कृष्ण पक्ष की द्वितीया या तृतीया/ तिथी को जनम हुआ॥अगर चंदरमा का अंश पता हो या वार का पता हो तो तिथी बिल्कुल स्पष्ट हो जायेगी
सो अब पता चला कि जनम द्वितीया/तृतीया जेष्ठ कृष्ण पक्ष में 1987 को हुआ यानि 12-13/जून/1987 में हुआ॥
समय का पता करना- सूरज सुबह में लगन/पहिले ख़ाने में,(जिस राशी में सूरज उदय हो वही लग्न उदय(सुबह का) कहते है सीधी जुबान सुबह होना कहते हैं/ जेष्ठ महीने मे वृष लगन उदय है क्योकि यहा पर सूरज वृष में है) दोपहर में 10 ख़ाना में, शाम को ख़ाना 7 में व आधी रात को ख़ाना न.4 में होता है। यहा पर सूरज ख़ाना न.11 में वृष राशी में है व लगन/ख़ाना 1में करक राशी है। 1लगन लगभग 2 घंटे का होता है, सो लगन व सुरज वाले ख़ाने में 2 ख़ाना का फऱक है इसका मतलब जातक का जनम सुरज उदय होने के ४ घंटे बाद हुआ होगा॥ जेष्ठ महीने में लगन आमतौर पर सुबह ४ बजे उदय होता है, ४ घंटे बाद यानि सुबह ८ से १० के बीच जनम हुआ है॥
(अब यह पता चला कि जातक का जनम 12-13/जून/1987 में ८ से१० के दरमियान हुआ था)
अयन का पता करना- मकर के सूरज से कुछ पहले उत्तरायन व करक से कुछ पहले दक्षिणायन होता है, सो यहाँ वृष का सुरज होने के अयन उत्तरायन हुआ॥
ऋतु का पता करना - जेष्ठ व आसाढ़ ग्रीष्म ऋतु होती है सो ऋतु ग्रीष्म हुआ॥
सो इसी तरह बाकी योग करण व नक्षत्र पता भी लगाया जाता है॥
इस तरह स्थूल तरीके से कुंडली के बारे में जानकारीयां हासिल की जा सकती है, पर बारीकी से देखने के लिये ग्रह स्पष्ट होना बहुत जरूरी है॥


No comments:

Post a Comment