Monday, 4 April 2016

क्डऱी वििचन क सौ तरीक (100 Rules of Birth Chart Predictions)

क्डऱी वििचन क सौ तरीक (100 Rules of Birth Chart
Predictions)
१. ननणय करन क लऱय शास्त्र की सहायता ऱनी चाहहय,और सकतों क मा्यम स जातक का फ़ऱकथन
कहना चाहहय,्यान रखना चाहहय कक नाम और धन आन क बाद आऱस का आना ्िाभाविक ह,इस बात
को ्यान रखकर ककसी भी जातक की उऩऺा नही करना चाहहय,सर्िती ककसी भी ूऩ म आकर ऩरीऺा
ऱ सकती ह,और ऩरीऺा म खरा नही उतरन ऩर िह ककसी भी प्रकार स ऱाक्षऺत करन क बाद समाज और
दननया स िहह्कार कर सकती ह,जजसक ऊऩर सर्िती महरिान होगी िह ही ककसी क प्रनत अऩनी
वऩछऱी और आग की कहानी का कथन कर ऩायगा।
२.जब प्रन करन िाऱा अनायास घटना का िणन करता ह तो उस उस घटना तथा उसक अऩन अनमान म
कोई अ्तर नही लमऱगा,दसर शब्दों म अगर समय क्डऱी या ज्म क्डऱी सही ह तो िह गोचर क ग्रहों
क वारा घटना का िणन अऩन करन ऱगगी।
३.जजस ककसी घटना या सम्या का विचार प्रच्छक क मन म होता ह,िह समय क्डऱी बता दती ह,और
ज्म क्डऱी म गोचर का ग्रह उसक मन म ककस सम्या का प्रभाि द रहा ह,िह सम्या कब तक उसक
जीिन काऱ म बनी रहगी,यह सब सम्या दन िाऱ ग्रह क अनसार और च्रमा क अनसार कथन करन
स आसानी रहगी।
४.प्रच्छक की तक ही ज्योनतषी क लऱय ककसी शास्त्र को जानन िाऱ स अधधक ह,उसकी हर तक ज्योनतषी
को ऩ्का भवि्य िक्ता बना दती ह,जो जजतना तक का जबाब दना जानता ह,िही सफ़ऱ ज्योनतवषयों की
श्रणी म धगना जाता ह।
५.कशऱ ज्योनतषी अऩन को सामन आन िाऱी सम्याओ स बचाकर चऱता ह,उस शब्दों का ऻान होना
अनत आि्यक ह,ककसी की मत्य का बखान करत िक्त "मर जाओग",की जगह "सभऱ कर चऱना" कहना
उतम ह।
६.क्डऱी क अनसार ककसी शभ समय म ककसी काय को करन का हदन तथा घटा ननजित करो,अशभ
समय म आऩकी वििक शतक्त ठीक स काम नही करगी,चाह आखों स दखन क बाद आऩन कोई काम ठीक
ही ्यों न ककया हो,ऱककन ककसी प्रकार की वििक शतक्त की कमी स िह काम अधरा ही माना जायगा।
७.ग्रहों क लमधश्रत प्रभािों को समझन की बहत आि्यक्ता होती ह,और जब तक आऩन ग्रहों ,भािों और
रालशयों का ऩरा ऻान प्रात नही ककया ह,आऩको समझना कहठन होगा,जो मगऱ चौथ भाि म मीठा ऩानी
ह,िही मगऱ आठि भाि म शनन की तरह स कठोर और जऱी हई लमटी की तरह स गड का ूऩ होता
ह,बारहि भाि म जात जात िह मीठा जऱी हयी श्कर का हिा स भरा बतासा बन जाता ह।
८.सफ़ऱ भवि्य-िक्ता ककसी भी प्रभाि को वि्तार स बखान करता ह,सम्या क आन क िक्त स ऱकर
सम्या क गजरन क िक्त क साथ सम्या क समात होन ऩर लमऱन िाऱ फ़ऱ का सही ऻान बताना ही
वि्तार यक्त वििचन कहा जाता ह।
९.कोई भी तत्र यत्र मत्र ग्रहों क भ्रमण क अनसार काय करत ह,और उ्ही ग्रहों क समय क अ्दर ही उनका
प्रयोग ककया जाता ह,यत्र ननमाण म ग्रहों का बऱ ऱना बहत आि्यक होता ह,ग्रहो को बऱी बनान क लऱय
मत्र का जाऩ करना आि्यक होता ह,और तत्र क लऱय ग्रहण और अमाि्या का बहत ्याऱ रखना ऩडता
ह। कहाित भी ह,कक महदर म भोग,अ्ऩताऱ म रोग और ज्योनतष म योग क जान बबना किऱ असत्य का
भाषण ही ह। १०.ककसी क प्रनत काम क लऱय समय का चनाि करत िक्त सही समय क लऱय जरा सा बरा समय भी
जूरी ह,जजस प्रकार स डा्टर दिाई म जहर का प्रयोग ककय बबना ककसी रोग को समात नही कर सकता
ह,शरीर म ग्सा की मात्रा नही होन ऩर हर कोई थ्ऩड मार कर जा सकता ह,घर क ननमाण क समय
हधथयार रखन क लऱय जगह नही बनान ऩर कोई भी घर को ऱट सकता ह।
११.ककसी भी समय का चनाि तब तक नही हो सकता ह,जब तक कक " करना ्या ह" का उद्य सामन न
हो।
१२.बर प्रीनत और ्यिहार म ज्योनतष करना बकार हो जाता ह,नफ़रत मन म होन ऩर सत्य क ऊऩर ऩदा
ऩड जाता ह,और जो कहा जाना चाहहय िह नही कहना,नफ़रत की ननशानी मानी जाती ह,बर क समय म
सामन िाऱ क प्रनत भी यही हाऱ होता ह,और प्रम क िक्त मानलसक डर जो कहना ह,उस नही कहन दता
ह,और ्यिहार क िक्त कम या अधधक ऱन दन क प्रनत सत्य स दर कर दता ह।
१३.ग्रह कथन क अ्दर उऩग्रह और छाया ग्रहों का विचार भी जूरी ह,बकार समझ कर उ्ह छोडना कभी
कभी भयकर भऱ मानी जाती ह,और जो कहना था या जजस ककसी क प्रनत सचत करना था,िह अ्सर
इ्ही कारणो स छट जाता ह,और प्रच्छक क लऱय िही ऩरशानी का कारण बन जाता ह,बतान िाऱा झठा हो
जाता ह।
१४.जब भी सतम भाि और सतम का मालऱक ग्रह ककसी प्रकार स ऩीतडत ह,तो ककतना ही बडा ज्योनतषी
्यों न हो,िह कछ न कछ तो भऱ कर ही दता ह,इसलऱय भवि्यकथन क समय इनका ्याऱ भी रखना
जूरी ह।
१५.तीसर छठ नि और बारहि भाि को आऩोज्ऱम कहा जाता ह,यहा ऩर विराजमान ग्रह राज्य क शत्र
होत ह,क्र और ऩणफ़र ऱ्न क लमत्र होत ह,यह ननयम सब जगह ऱाग होता ह।
१६.शभ ग्रह जब आठि भाि म होत ह,तो ि अच्छ ऱोगों वारा ऩीडा दन की कहानी कहत ह,ऱककन ि भी
शभ ग्रहों क वारा दख जान ऩर ऩीडा म कमी करत ह।
१७.बजग ्यतक्तयों क आग क जीिन की कहानी कहन स ऩहऱ उनक ऩीछ की जानकारी आि्यक ह,अगर
कोई बजग ककसी प्रकार स अऩन ग्रहों की ऩीडा को शमन करन क उऩाय कर चका ह,तो उस ग्रह कदावऩ
ऩीडा नही ऩहचायगा,और बबना सोच कथन करना भी असत्य माना जायगा।
१८.ऱगन म सय च्र और शभ ग्रह एक ही अश रालश कऱा म वियमान हों,या सय च्र आमन सामन
होकर अऩनी उऩज्थत द रह हों तो जातक भा्यशाऱी होता ह,ऱककन ऩाऩग्रह अगर उहदत अि्था म ह तो
उल्टा माना जायगा।
१९.गु और च्र अगर अऩनी यनत द रह ह,चाह िह रालश म हो,या निाश म हो,कोई भी ऩरानी बात सामन
नही आ सकती ह,जजस प्रकार स इस यनत क समय म दी गयी द्त करान की दिा असर नही करती ह।
२०.च्र रालश क शरीर भाग म ऱोह क शस्त्र का प्रहार खतरनाक हो जाता ह,जस कोई भी ककसी ्थान ऩर
बठ कर अऩन दातों को कीऱ स खोदना चाऱ कर दता ह,और उसी समय च्रमा की उऩज्थनत उसी भाग
म ह तो या तो दात खोदन की जगह विषाक्त कण रह जान स भयकर रोग हो जायगा,और मह तक को गऱा
सकता ह,और डा्टर अगर इज्सन च्र क ्थान ऩर ऱगा रहा ह,तो िह इज्सन या तो ऩक जायगा,या
कफ़र इज्सन की दिा ररय्सन कर जायगी।
२१.जब च्रमा मीन रालश म हो,और ऱगनश की हरवि ऩहऱ भाि स चौथ भाि और साति भाि म
उऩज्थनत ग्रहों ऩर हो तो इऱाज क लऱय प्रयोग की जान िाऱी दिा काम कर जायगी,और अगर ऱगनश का
प्रभाि साति भाि स दसि भाि और दसि भाि स ऩहऱ भाि तक क ग्रहों ऩर ऩड रही ह तो िह दिा उल्टी क वारा बाहर धगर जायगी,या फ़ऱ जायगी।
२२.लसह रालश क च्रमा म कभी भी नया कऩडा नही ऩहहनना चाहहय,और न ही ऩहहना जान िाऱा उतार
कर हमशा क लऱय दर करना चाहहय,और यह तब और अधधक ्यान करन िाऱी बात होती ह जब च्रमा
ककसी शत्र ग्रह वारा ऩीतडत हो रहा हो,कारण िह िस्त्र ऩहहनन िाऱा या तो मशीबतों क अ्दर आ
जायगा,या िह कऩडा ही बरबाद हो जायगा।
२३.च्रमा की अ्य ग्रहों ऩर नजर मन्य क जीिन म अकऱाहट ऩदा कर दती ह,शतक्तशाऱी नजर फ़ऱ
दती ह,और कमजोर नजर किऱ ्याऱ तक ही सीलमत रह जाती ह।
२४.च्रमा क ज्म क्डऱी म क्र म होन ऩर अगर कोई ग्रहण ऩडता ह,तो िह खतरनाक होता ह,और
उसका फ़ऱ ऱगन और ग्रहण ्थान क बीच की दरी क अनसार होता ह,जस सय ग्रहण म एक घटा एक
साऱ बताता ह,और च्र ग्रहण एक घटा को एक मास क लऱय बताता ह। उदाहरण क लऱय मान ऱीजजय
कक ग्रहण क समय च्रमा चौथ भाि ऩहऱ अश ऩर ह,और ऱगन स चौथा भाि ऱगन म आन का िक्त सिा
दो घट क अनसार ऱगन बदऱन का ऩौन सात घट का समय ऱगता ह,तो प्रभाि भी च्र ग्रहण क अनसार
ऩोन सात महहन क बाद ही लमऱगा,और सय ग्रहण स ऩोन सात साऱ का समय ऱगगा।
२५.दसि भाि क कारक ग्रह की गनत भम्य रखा स नाऩी जाती ह,और ऱगन क कारक ग्रह की गनत
अऺाश क अनसार नाऩना सही होता ह। जस एक जातक का वऩता अऩन घर स कही चऱा गया ह,तो उसका
ऩता करन क लऱय भम्य रखा स वऩता क कारक ग्रह की दरी नाऩन ऩर वऩता की ज्थनत लमऱ
जायगी,एक अश का मान आठ ककऱोमीटर माना जाता ह,और ऱगनश की दरी क लऱय अऺाश का हहसाब
ऱगना ऩडगा।
२६.यहद ककसी विषय का कारक सय स अ्त हो,चाह क्डऱी क अ्त भाग १,४,७, म या अऩन स विऩरीत
्थान म हो तो कछ बात नछऩी हई ह,ऩर्त बात खऱ जायगी यहद कारक उहदत हो या उहदत भाग म हो।
२७.जजस रालश म शक्र बठा हो उसक अनूऩ शरीर क भाग म शक्र वारा सख लमऱता ह,ऐसा ही दसर ग्रहों क
साथ भी होता ह।
२८.यहद च्रमा का ्िभाि ककसी स नही लमऱता ह,तो नऺत्र क दखना चाहहए।
२९.नऺत्र ऩहऱ सधचत ककय बबना फ़ऱ दत ह,यहद कारक ग्रह स मऱ नही खात ह तो कि भी अ्समात दत
ह।
३०.यहद ककसी नता की शुआत उसक ऩतक जमान स ऱगन क अनूऩ ह,तो नता का ऩत्र या ऩत्री ही आग
की कमान सभाऱगी।
३१.जब ककसी राज्य का कारक ग्रह अऩन सकट सचक ्थान म आजाता ह,तो राज्य का अधधकारी मरता
ह।
३२.दो आदलमयों म तभी आऩस म सदभािना होती ह,जब दोनो क ग्रह ककसी भी प्रकार स अऩना सम्ऩक
आऩस म बना रह होत ह,आऩसी सदभािना क लऱय मगऱ स ऩराक्रम म,बध स बातचीत स,गु स ऻान क
वारा,शक्र स धन कमान क साधनों क वारा,शनन स आऩस की चाऱाकी या फ़रबी आदतों स,सय स ऩतक
कारणों स च्र स भािनात्मक विचारों स राह स ऩिजों क अनसार कत स नननहाऱ ऩररिार क कारण
आऩस म प्रधान सदभािना प्रदान करत ह।
३३.दो क्डलऱयों क ग्रहों क अनसार आऩस म प्रम और नफ़रत का भाि लमऱगा,अगर ककसी का गु सही
माग दशन करता ह,तो कभी नफ़रत और कभी प्रम बनता और बबगडता रहता ह।
३४.अमाि्या का च्र रालश का मालऱक अगर क्र म ह तो िह उस माह का मालऱक ग्रह माना जायगा। ३५.जब कभी सय ककसी ग्रह क ज्माश क साथ गोचर करता ह,तो िह उस ग्रह क प्रभाि को सजग करता
ह।
३६.ककसी शहर क ननमाण क समय क नऺत्रों का बोध रखना चाहहय,घर बनान क लऱय ग्रहों का बोध होना
चाहहय,इनक ऻान क बबना या तो शहर उजड जात ह,या घर बरबाद हो जात ह।
३७.क्या और मीन ऱगन का जातक ्िय अऩन प्रताऩ और बऱ ऩर गौरि का कारण बनगा,ऱककन मष
या तऱा म िह ्िय अऩनी मौत का कारण बनगा।
३८.मकर और कम्भ का बध अगर बऱिान ह,तो िह जातक क अ्दर जल्दी स धन कमान की िवत प्रदान
करगा,और जाससी क कामों क अ्दर खोजी हदमाग दगा,और अगर बध मष रालश का ह तो बातों की
चाऱाको को प्रयोग करगा।
३९.तऱा का शक्र दो शाहदया करिा कर दोनो ही ऩनत या ऩलियों को जज्दा रखता ह,जबकक मकर का शक्र
एक को मारकर दसर स प्रीनत दता ह।
४०.ऱगन ऩाऩ ग्रहों स यत हो तो जातक नीच विचारों िाऱा,ककमो स प्रस्न होन िाऱा,दग्ध को अच्छा
समझन िाऱा होता ह।
४१.यात्रा क समय अिम भाि म ज्थत ऩाऩग्रहों स खबरदार रहो,ऩाऩग्रहों की कारक ि्तय सिन
करना,ऩाऩग्रह क कारक आदमी ऩर विवास करना और ऩाऩ ग्रह की हदशा म यात्रा करना सभी जान क
द्मन बन सकत ह।
४२.यहद रोग का आरम्भ उस समय स हो जब च्रमा ज्म समय क ऩाऩ ग्रहों क साथ हो,या उस रालश स
जजसम ऩाऩ ग्रह ह,स चार सात या दसि भाि म हो तो रोग भीषण होगा,और रोग क समय च्रमा ककसी
शभ ग्रह क साथ हो या शभ ग्रह स चार सात और दसि भाि म हो तो जीिन को कोई भय नही होगा।
४३.ककसी दश क ऩाऩ ग्रहों का प्रभाि गोचर क ऩाऩ ग्रहों स अधधक खराब होता ह।
४४.यहद ककसी बीमार आदमी की खबर लमऱ और उसकी क्डऱी और अऩनी क्डऱी म ग्रह आऩस म
विऩरीत हों तो ज्थनत खराब ही समझनी चाहहय।
४५.यहद ऱगन क म्य कारक ग्रह लमथन क्या धन और कम्भ क प्रथम भाग म न हों,तो जातक
मन्यता स दर ही होगा,उसम मानिता क लऱय कोई सिदना नही होती ह।
४६.ज्म क्डलऱयों म नऺत्रों को महत्ि हदया जाता ह,अमाि्या की क््ऱी म ग्रहों का मालसक महत्ि
हदया जाता ह,ककसी भी दश का भा्य (ऩाट आफ़ फ़ाच्यन) का महत्ि भी उतना ही जूरी ह।
४७.अगर ककसी की ज्म क्डऱी म ऩाऩ ग्रह हों और उसक सम्ब्धी की क्डऱी म उसी जगह ऩर शभ
ग्रह हों,तो ऩाऩ ग्रह शभ ग्रहों को ऩरशान करन स नही चकत।
४८.यहद ककसी नौकर का छठा भािाश मालऱक की क्डऱी का ऱगनाश हो,तो दोनो को आजीिन दर नही
ककया जा सकता ह।
४९.यहद ककसी नौकर का ऱगनाश ककसी मालऱक का दसिाश हो तो मालऱक नौकर की बात को मान कर
कय भी कद सकता ह।
५०.एक सौ उ्नीस यतक्तया ज्योनतष म काम आती ह,बारह भाि,बारह रालशया,अठाइस नऺत्र र्काण
आहद ही ११९ यतक्तया ह।
५१.ज्म की ऱगन को च्र रालश स सतम मानकर ककसी क चररत्र का विलषण करो,दखो ककतन गढ
सामन आत ह,और जो ऩोऱ अच्छ अच्छ नही खोऱ सकत ि सामन आकर अऩना हाऱ बतान ऱगगी।
५२.्यतक्त की ऱम्बाई का ऩता करन क लऱय ऱ्नश दसिाश क ऩास होन िाऱा कारक ऱम्बा होगा,तथा अ्त और सतम क ऩास कारक हठगना होगा।
५३.ऩतऱ ्यतक्तयों का ऱगनश अऺाश क ऩास श्य की तरफ़ होगा,मोट ्यतक्तयों का अऺाश अधधक
होगा,उतर की तरफ़ िाऱा अऺाश बविमान होगा,और दक्षऺण की तरफ़ िाऱा अऺाश मद बवि होगा।
५४.घर बनात समय कारक ग्रहों म कोई ग्रह अ्त भाग २,३,४,४,६,७ि भाि म हो तो उसी कारक क वारा घर
बनान म बाधा ऩडगी।
५५.यात्रा म मगऱ अगर दस या ्यारह म नही ह,तो वि्न नही होता ह,यहद यात्रा क समय मगऱ इन
्थानों म ह तो यात्रा म ककसी न ककसी प्रकार की दघटना होती ह,या चोरी होती ह,अथिा ककसी न ककसी
प्रकार का झगडा फ़साद होता ह।
५६.अमािस तक शरीर क दोष बढत ह,और कफ़र घटन ऱगत ह।
५७.ककसी रोग म प्रन क्डऱी म अगर सतम भाि या सतमश ऩीतडत ह तो फ़ौरन डा्टर को बदऱ दो।
५८.ककसी भी दश की क्डऱी की िष ऱगन म ग्रह की हरवि अशों म नाऩ कर दखो,घटना तभी होगी जब
हरवि ऩण होगी।
५९.ककसी बाहर गय ्यतक्त क िाऩस आन क बार म विचारो तो दखो कक िह ऩागऱ तो नही ह,इसी प्रकार स
ककसी क प्रनत घायऱ का विचार करन स ऩहऱ दखो कक उसक खन कही ककसी बीमारी स तो नही बह रहा
ह,ककसी क लऱय दब धन को लमऱन का विचार कहन स ऩहऱ दखो कक उसका अऩना जमा ककया गया धन
तो नही लमऱ रहा ह,कारण इन सबक ग्रह एक सा ही हाऱ बतात ह।
६०.रोग क विषय म विचार करो कक च्रमा जब रोग खतरनाक था,तब २२-३० का कोण तो नही बना रहा
था,और जब बना रहा था,तो ककस शभ ग्रह की हरवि उस ऩर थी,िही ग्रह बीमार को ठीक करन क लऱय
मा्य होगा।
६१.शरीर क वारा मानलसक विचार का ्िामी च्रमा ह,िह जसी गनत करगा,मन िसा ही चऱायमान
होगा।
६२.अमाि्या ऩण की क्डऱी बनाकर आगामी मास क मौसम ऩररितन का ऩता ककया जा सकता
ह,क्र क ्िामी िाय ऩररितन क कारक ह,और इ्ही क अनसार ऩररणाम प्रकालशत करना उतम होगा।
६३.गु शनन का योग दसि भाि क ननकट क ग्रह ऩर होता ह,िह धमी हो जाता ह,और अऩन अच्छ बर
विचार कहन म असमथ होता ह।
६४.काय क ्िामी को दखो कक िह िष ऱगन म ्या सकत दता ह,उस सकत को ्यान म रखकर ही आग
क काय करन की योजना बनाना ठीक रहता ह।
६५.कम स कम ग्रह यनत का म्यम यनत स और म्यम यनत का अधधकतम यनत स विचार करन ऩर फ़ऱ
की ननकटता लमऱ जाती ह।
६६.ककसी क गण दोष विचार करत िक्त कारक ग्रह का विचार करना उधचत रहता ह,अगर उस गण दोष म
कोई ग्रह बाधा द रहा ह,तो िह गण और दोष कम होता चऱा जायगा।
६७.जीिन क िष आय क कारक ग्रह की कमजोरी स घटत ह।
६८.सबह को उहदत ऩाऩ ग्रह आकज्मक दघटना का सकत दता ह,यह अि्था ग्रह क बक्री रहन तक रहती
ह,च्र की ज्थनत अमािस स सतमी तक यानी सय स ९० अश तक साति भाि तक अ्त ग्रह रोग का
सकत करता ह।
६९.अगर च्रमा साति भाि म ह और चौथ भाि म या दसि भाि म शनन राह ह,तो जातक की नत्र शतक्त
दबऱ होती ह,कारण सय च्र को नही दख ऩाता ह,और च्र सय को नही दख ऩाता ह,यही हाऱ द्मन और घात करन िाऱों क लऱय माना जाता ह।
७०.यहद च्रमा बध स ककसी प्रकार स भी सम्ब्ध नही रखता ह,तो ्यतक्त क ऩागऱऩन का विचार ककया
जाता ह,साथ ही रात म शनन और हदन म मगऱ कक क्या या मीन रालश का हो।
७१.सय और च्र ऩुषों की क्डऱी म रालश क अनसार फ़ऱ दत ह,ऱककन स्त्री की रालश म रालश क प्रभाि
को उतजजत करत ह,सबह को उहदत मगऱ और शक्र ऩुष ूऩ म ह और शाम को स्त्री ूऩ म।
७२.ऱगन क बत्रकोण स लशऺा का विचार ककया जाता ह,सय और च्र क बत्रकोण स जीिन का विचार
ककया जाता ह।
७३.यहद सय राह क साथ हो और ककसी भी सौम्य ग्रह स यत न हो या ककसी भऱ ग्रह की नजर न हो,सय स
मगऱ सतम म हो,और कोई भऱा ग्रह दख नही रहा हो,सय स मगऱ चौथ और द्सि म हों,कोई भऱा ग्रह
दख नही रहा हो,तो फ़ासी का सचक ह,यहद हरवि लमथन या मीन म हो,तो अग भग होकर ही बात रह जाती
ह।
७४.ऱगन का मगऱ चहर ऩर दाग दता ह,छठा मगऱ चोरी का राज छऩाता ह।
७५.लसह रालश का सय हो और मगऱ का ऱगन ऩर कोई अधधकार न हो,आठि भाि म कोई शभ ग्रह नही हो
तो जातक की मौत आग क वारा होता ह।
७६.दसिा शनन और और चौथा सय रात का च्रमा बन जाता ह,चौथी रालश अगर िष क्या या मकर हो
तो जातक अऩन ही घर म दब कर मरता ह,यहद कक िजिक मीन हो तो िह ऩानी म डब कर मरगा,नर
रालश होन ऩर ऱोग उसका गऱा घोंटग,या फ़ासी होगी,अथिा उत्ऩात स मरगा,यहद आठि भाि म कोई शभ
ग्रह हो तो िह बच जायगा।
७७.शरीर की रऺा क लऱय ऱगन का बऱ,धन क भा्य बऱ आत्मा का शरीर स सम्ब्ध बनान क लऱय
च्र बऱ,और नौकरी ्याऩाराहद क लऱय दसम का बऱ आि्यक ह।
७८.ग्रह अ्सर उस ्थान को प्रभावित करता ह,जहा ऩर उसका कोई ऱना दना नही होता ह,इसीस जातक
को अचानक ऱाभ या हानन होती ह।
७९.जजसक ्यारहि भाि म मगऱ होता ह,िह अऩन ्िामी ऩर अधधकार नही रख ऩाता ह।
८०.शनन स शक्र यत हो तो ककसकी सतान ह,उसका ऩता नही होता।
८१.समय का विचार सात प्रकार स ककया जाता ह,(अ) दो कारकों क बीच का अतर (ब)उनकी आऩसकी
हरवि का अतर (स) एक का दसर की ओर बढना (द) उनम ककसी क बीच का अ्तर घटना क कारक ग्रह का
(य) ग्रह क अ्त वारा (र) कारक क ्थान ऩररितन स (ऱ) ककसी कारक ग्रह क अऩन ्थान ऩर आन क
समय स।
८२.अगर अमािस या ऩ्णमा की क्डऱी म ज्योनतषी का ग्रह ककसी ग्रह स दबा हआ हो तो उस ककसी का
भी भवि्य कथन नही करना चाहहय,कारण िह धच्ता क कारण कछ का कछ कह जायगा।
८३.राज्य का ग्रह और आिदन करन िाऱ का ग्रह आऩस म लमत्रता ककय ह,तो आिदन का विचार सरकारी
आकफ़स म ककया जाता ह।
८४.यहद ककसी भी धन कमान िाऱ काम की शुआत की जाि,और मगऱ दसर भाि म ह,तो काय म कभी
सफ़ऱता नही लमऱगी।
८५.यहद दश की शासन ्यि्था की बागडोर ऱत समय ऱगनश और हवतीयश आऩस म सम्ब्ध रख
ह,तो बागडोर ऱन िाऱा कब ककस प्रकार का ऩररितन कर द ककसी को ऩता नही होता।
८६.सय स जूरी ताकत का ऩता चऱता ह,और च्र स जूरी भी नही ह उसका। ८७.मालसक क्डऱी २८ हदन २ घट और १८ लमनट क बाद बनती ह,िावषक क्डऱी ३६५.१/४ हदन क बाद।
८८.िष क्डऱी म सय स च्र की दरी ऩर मानलसक इच्छा की ऩनत होती ह।
८९.अऩन दादा क बार म राह और सतम भाि स जाना सकता ह,और चाचा क बार म गु और छठ भाि स।
९०.यहद कारक ग्रह की हरवि ऱगन स ह,तो होन िाऱी घटना ऱगन क अनसार होगी,यहद ऱगन क साथ
यनत नही ह,तो कारक जहा ऩर विराजमान ह,िहा ऩर होगी,होरा ्िामी स उसका रग ऩता ऱगगा,समय का
च्र स ऩता ऱगगा,यहद क्डऱी म अह भाग उहदत ह तो नय प्रकार की ि्त होगी,अ्त भाग म िह
ऩरानी ि्त होगी।
९१.रोगी का ्िामी अ्त होना अशभ ह,जबकक भा्यश भी ऩीतडत हों।
९२.ऩि भाग म उदय शनन और ऩजिम भाग म उदय मगऱ अधधक कि नही दता ह।
९३.ककसी की भी क्डऱी को आग आन िाऱी यनत क बबना मत विचारो,्योंकक यनत क बबना उस ्या
बता सकत हो,िह आग जाकर लसिाय मखौऱ क और कछ नही करन िाऱा।
९४.अधधक बऱी ग्रह समय क्डऱी म प्रन करन िाऱ क विचार प्रकट करता ह।
९५.दसि भाि म उदय होन िाऱा ग्रह जातक क काय क बार म अऩनी सफ़ऱता को दशाता ह।
९६.ग्रहण क समय क्र क ऩास िाऱ ग्रह आगामी घटनाओ क सचक ह,घटना की जानकारी रालश और ग्रह
क अनसार बतायी जा सकती ह।
९७.अमाि्या या ऩ्णमा की क्डऱी म ऱगनश अगर क्र म ह,तो काय को लसि होन स कोई रोक नही
सकता ह।
९८.उल्काऩात क लऱय भऱ आदमी विचार नही करत ह,ऩच्छऱ तार क उदय क समय आगामी अकाऱ
दकाऱ का विचार ककया जा सकता ह।
९९.जजस भाग म उल्का ऩात होता ह,उस भाग म हिा सखी हो जाती ह,और सखी हिा क कारण अकाऱ भी
ऩड सकता ह,अधड भी आ सकता ह,सना भी सग्राम म जझ सकती ह,अकाऱ मत्य की गजायश भी हो
सकती ह।
१००.ऩच्छऱ तारा अगर सय स ११ रालश ऩीछ उदय हो तो राजा की मत्य होती ह,यहद ३,६,९,१२, म उदय हो
तो राज्य को धन का ऱाभ होता ह,ऱककन राष्ट्रऩनत या राज्यऩाऱ का बदऱाि होता ह। 

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