Monday, 4 April 2016

रंग है आपके व्यक्तित्व की परछाईं...


वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह बात सिद्ध हो चुकी है कि रंग परिक्षण द्वारा किसी भी मनुष्य की मनोवैज्ञानिक स्थिति का सहज ही पता लगाया जा सकता है.रंग व्यक्ति की मनोस्थिति का सही व सटीक आंकलन करने में अत्यंत कारगर सिद्ध होते है तथा किसी भी व्यक्ति के चरित्र के बारे में जानकारी पाई जा सकती है.चमकीलें रंगों का असर गहरा पड़ता है जबकि हलके रंगों का प्रभाव गहरा नहीं हुआ करता है.प्रकृति से हमें मुख्यत: आठ रंगों का आभास प्राप्त होता है जिसका विवरण इस प्रकार से है. लाल, हरा, पीला, नीला, बैंगनी, भूरा, स्लेटी और काला यह आठ रंगों का प्रभाव मनुष्य के जीवन में अधिक असर दिखाता है.
लाल रंग :- लाल रंग अति संवेगात्मक लिए शक्ति व स्फूर्ति का प्रतिनिधित्व करता है.साथ ही नाड़ी तंत्र को गति प्रदान करता है.जो व्यक्ति लाल रंग का तिरस्कार करते है या इस रंग को पसंद नही करते है, वह शारीरिक दुर्बलता, मानसिक क्षीणता व हृदय सम्बन्धी विकारों से सदैव पीड़ित रहते है.लाल रंग को पसंद करने वाले हमेशा अपने मन के मुताबिक़ परिणाम और सफलता में विश्वास रखा करते है.जोखिमों से टकराना, संघर्षो से वीरों की भान्ति जूझना, गंभीर चुनोतिओं को हरा कर सामना करना, नई नई खोज का श्रेय अपने सिर लेना लाल रंग को पसंद करने वालो का सर्वप्रिय होता है.इस रंग को चाहने वाले व्यक्ति अपने विषय में स्वयं निर्णय लेने की क्षमता रखते है.जो इस रंग को प्राथमिकता के रूप में पसंद करते है.उनके अन्दर सामूहिक नेतृत्व की भरपूर क्षमता, सृजनशीलताकी बहुलता व विकासोन्मुखी की बहुलता हुआ करती है. अगर कोई व्यक्ति लाल रंग को प्रथम तीन स्थानों में नहीं चुनता है तो यह उसके व्यक्तित्व की भौतिक पलायानता का प्रतीक है.

हरा रंग :- इस रंग का मूल अंग नस-जाल है. यही वजह है कि इस रंग को चाहने वाले गैस्टिक, अल्सर और पाचन सम्बन्धी अनेक बीमारीओं के शिकार बने रहते है.हरे रंग को पसंद करने वाला चाहता है कि समाज में उसको एक अलग पहचान बनें तमाम विरोधों के बावजूद भी वह अपने काम में तन-मन-धन से लगा रहता है. जो लोग व्याकुल स्वभाव के होते है वे हरे रंग को कम पसंद करते है.हरे रंग को चाहने वाले व्यक्ति छिद्रान्वेषी और आलोचक होते है.यदि कोई व्यक्ति हरे रंग का तिरस्कार कर लाल रंग को ज्यादा पसंद करते है.तो उस व्यक्ति का मष्तिष्क असंतुलन की सीमा तक जा पहुचता है कई दफा हरे रंग का चुनाव व्यक्तित्व में अकर्मण्यता का भाव भी पैदा कर दिया करता है. जिसकी वजह से उस व्यक्ति के अन्दर हीन भावना प्रवेश कर जाया करती है. जिसके फलस्वरूप वह व्यक्ति मानसिक तनाव का शिकार हो जाता है.
पीला रंग :- पीला रंग इच्छाओं की पूर्ति के लिए किये गए श्रम का प्रतीक है. एक ओर जहां हरे रंग में सुख-समृद्धि है तो वहीं दूसरी ओर पीला रंग विश्राम को प्रदर्शित करता है.पीला रंग हमे सूर्य के प्रकाश के रूप में दिखाई देता है.इस रंग को पसंद करने वाला व्यक्ति हमेशा लक्ष्य सिद्धि के लिए प्रयासरत रहता है.इस रंग से प्रभावित व्यक्ति हमेशा नयी नयी सुख प्राप्ति की इच्छा मन में पाले रखता है.वह व्यक्ति हर वस्तु को सूक्ष्मता से परखता है.और हमेशा सतर्क रहता है.ऐसा व्यक्ति समाज में अपना एक अलग स्थान बनाने की कोशिश में लगा रहता है.और स्वतंत्र भव् से ही हर काम करना पसंद किया करता है.गुलामी उसे बिलकुल भी पसंद नहीं होती है. कभी-कभी यह रंग ईर्ष्या का भाव भी मन में उत्पन्न कर दिया करता है.
नीला रंग :- नीला रंग अनंत आकाश व अनंत समुंद्र के रूप में हमारी आँखों के सामने बिखरा पड़ा है.इस रंग का स्वभाव मन में प्रफुलता का भाव जगाने के साथ-साथ मन को शान्ति भी प्रदान करता है.इसकी स्थिति त्वचा पर मानी गयी है.इसलिए चर्म रोगों से सम्बंधित रोग इस रंग से जोड़ें जाते है.ऐसे सभी रोग कोमल भाव, आत्मीय क्षण और युवा प्रेम के उदात्त प्रेम संसर्ग से उत्पन्न हुआ करते है. इस रंग में सत्य, प्रेम, त्याग, समर्पण, अनुराग, गहराई, विष्वास आदि अनेक भाव भी निहित है.इस रंग को चाहने वाले अपने जीवन में पूर्ण स्थायित्व को पसंद करते है.गहरा नीला रंग शान्ति का प्रतीक है. इस रंग को अपने जीवन में उतारने वाले व्यक्ति बौद्धिक दृष्टि से काफी उंचे, मीठे व मृदुल स्वभाव के हुआ करते है. इस रंग को पसंद करने वालो के स्नायुमंडल पर यह रंग बहुत प्रभाव डाला करता है.इसके परिणामस्वरूप उस व्यक्ति की नाड़ी की गति धीमी हो जाति है. इस रंग को पसंद ना करने वाले व्याक्तियों के अन्दर विष्वास की कमी का भाव पैदा होता है और उसके स्वभाव में खिन्नता का भाव हमेशा रहता है.
बैंगनी रंग :- बैंगनी रंग अपना स्वतंत्र अस्तित्व ना लेकर दो रंग लाल व नीले रंग के मिश्रण से बना है. अपरिपक्व स्वभाव के व्यक्ति ही इस रंग को ज्यादा पसंद किया करते है. इस रंग को पसंद करने वाला व्यक्ति हमेशा यही चाहता है कि दूसरे लोग उसके द्वारा किये गए काम की खूब प्रशंसा करें. इस रंग का पहले स्थान पर चुनाव करने वाला व्यक्ति हमेशा असन्तुष्ट और असामान्य परिस्थितियों से घिरा रहता है. बाल्यकाल अथवा युवावस्था के प्रथम चरण में जो कोई इस रंग का चुनाव या इसे अत्यधिक पसंद करता है उसके जीवन कभी सुखपूर्वक नहीं होगा अर्थात यदा-कदा समस्याओं में घिरा ही रहेगा.
भूरा रंग :- यह रंग रक्त विकार, मस्तिष्क की वर्तुलाकार शिराओं का द्योतक है. दुर्दशा व अस्वस्थता को प्रदर्शित किया करता है. समाज के बीच में रह कर भी सामाजिक असुरक्षा का भाव मन में रहता है. जो लोग साधनविहीन होते है उन्हें अपने जीवन काल में साधन संपन्न होने की कोई आशा नही होती है. वे अक्सर ब्राउन रंग को ही प्राथमिकता के रूप में पसंद किया करते है. भूरे रंग का चुनाव प्रथम चार स्थानों में करने की स्थिति में यह बात उभर कर आती है कि इस रंग को पसंद करने वाला व्यक्ति हमेशा शरीर को आराम देना पसंद करता है. औए मन में काम वासना पूरी होने की इच्छा पाले रखता है. इस रंग को बहुत ज्यादा पसंद करना इस बात का भी द्योतक है कि वह व्यक्ति शारीरिक बीमारियों से ग्रसित है.
स्लेटी रंग :- धुन्ध, धुँआ और कोहरे के द्वारा दिखाई देने वाला स्लेटी रंग दो विपरीत स्थितियों के बीच शान्ति के माध्यम को प्रदर्शित करता है. इस रंग को पसंद करने वाला व्यक्ति अपने हृदय के भावो को कुशलता से छिपा लेने की कला में सिद्धहस्त होता है वह तमाम तरह की गतिविधियो से अलग-थलग रहना पसंद किया करता है. यदि किसी कार्य में दिलचस्पी लेता भी है तो केवल औपचारिकतावश ही लेता है. शक्ति की क्षीणता, शून्यता, रिक्तता जैसी स्थितियों में इस रंग का चुनाव व्यक्ति के व्यक्तित्व में साफ़ उभर कर आता है. इस रंग को चुनने वाला हमेशा चलावे में रहता है. औए अपनी असंतोषजनक अवस्था से बाहर निकले के लिए छटपटाता रहता है.
काला रंग :- स्वयं में सम्पूर्ण प्रकाश समेटे काला, रंगों की सत्ता को साग नकारता व समर्पण की अथाह गहराई को प्रदर्शित किया करता है.इस रंग को प्रथम तीन स्थानों पर चुनाव करने वाला व्यक्ति अपने सभी गुणों, दुर्गुणों से ऊपर उठ कर अपनी तमाम आवश्यकताओं को त्याग कर स्थिरता की मंजिल प्राप्त करता है. यह भाग्य से भी विद्रोह करने को हमेशा तत्पर रहता है. यह रंग विनाश व सम्पूर्ण परिवर्तन का द्योतक है. इस रंग का चुनाव हमेशा अंतिम दो अवस्थाओं में ही किया जाना चाहिए.

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