दान देने से पहले जरा सोच लें...कहीं अहित ना हो जाय ? दान करना हमारे समाज में अति शुभ माना गया है लेकिन कई बार यह दान दुःख का कारण भी बन जाता है.हमारे आसपास ऐसे कई व्यक्ति है जो कि ज्यादा दान या ज्यादा धर्म में लीन रहते है. फिर भी कष्ट उनका व उनके परिवार का पीछा नहीं छोड़ता तब हम अपने को सांत्वना स्वरूप यह कह कर संतोष करते है कि भगवान शायद हमारी परीक्षा ले रहा है. यह सच भी हो सकता है. परन्तु ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह भी सत्य है कि दान या मंदिर में जाना या घर में पूजा करना ग्रहों के शुभाशुभ द्वारा निश्चित करना चाहिए. इस विषय में लाल किताब में विस्तृत जानकारी उपलब्ध है.कि किस ग्रह का किस स्थिति में दान करना शुभ है और किस स्थिति में दान करना अशुभ है. उसी विषय को में आपके सामने रख रहा हूं.
लाल किताब ज्योतिष के अनुसार यह दान का प्रतिबन्ध यदि जन्मकुण्डली में हो तो केवल एक वर्ष के लिए होता है. जो कि लाल किताब की वर्षफल सारिणी द्वारा ज्ञात किया जा सकता है कि किस वर्ष किस ग्रह का दान शुभ या अशुभ फल देगा.इसके लिए लाल किताब ज्योतिष अनुसार जन्मकुण्डली व उस वर्ष का वर्षफल बनवाना अनिवार्य होता है.
जो ग्रह किसी की कुण्डली में उच्च का हो उस ग्रह की वस्तुओं का दान उस व्यक्ति को नहीं करना चाहिए. माना कि किसी की कुण्डली में चन्द्र २, ४ में है तो उसे दूध, चावल, चांदी या मोती का दान कभी नहीं करना चाहिए. इसी प्रकार किसी का मंगल शुभ यानि उच्च का हो तो उसे मिठाई का दान नहीं करना चाहिए किसी का सूर्य उच्च का हो तो उसे गेंहू या गुड़ का दान नहीं करना चाहिए. बुध उच्च वाले को मूंग साबुत, हरा कपड़ा, कलम,फूल,मशरूम तथा घड़ा आदि का दान नहीं करना चाहिए. इसी प्रकार वृहस्पति उच्च में सोना, पीली वस्तु, पुस्तक; शुक्र उच्च वाले को सिले हुए कपड़े और शनि उच्च वाले को शराब, मांस,अंडा, तेल या लोहे का दान नहीं करना चाहिए.इस प्रकार यदि ये ग्रह अशुभ या नीच स्थिति में हो तो इन ग्रहों कि वस्तुओं का दान या मुफ्त गिफ्ट नहीं लेना चाहिए.
चन्द्रमा छठे भाव में हो तो वह व्यक्ति यदि दूध, पानी का दान या कुआं, नल, तालाब लगवाए या उसकी मरम्मत करवाए तो दिन प्रतिदिन उसका परिवार घटता रहेगा.
शनि आठवें भाव में हो तो यदि वह व्यक्ति सराय, धर्मशाला, यात्री निवास बनाए तो आप बेघर और निर्धन हो सकता है.
शनि पहले और वृहस्पति पांचवें भाव में हो तो यदि वह व्यक्ति भिखारी को ताम्बे का पैसा या ताम्बे का बर्तन दे तो सन्तान हानि होती है.
शुक्र नवम भाव में हो और वह व्यक्ति यदि अनाथ बच्चों को गोद लेने या उन्हें अपने पास रखे तो उसकी मिट्टी खराब होगी.
वृहस्पति दशम चंद्रमा चतुर्थ हो तो पूजा स्थान बनवाने से झूठे आरोपों में फांसी या सजा होने की संभावना रहती है.
चंद्रमा बारहवें भाव में हो तो यदि वह व्यक्ति धर्मात्मा या साधू को प्रतिदिन रोटी खिलाए, दूध पिलाए या बच्चों को निशुल्क शिक्षा का प्रबंध करे या स्कूल पाठशाला खोलें तो ऐसा कष्ट पाटा है कि अंत समय में कोई पानी तक देने वाला नहीं होता है.
वृहस्पति सातवें भाव में हो तो वह व्यक्ति किसी को वस्त्र दान ना करे यदि करेगा तो आप वस्त्रहीन हो जायगा.
सूर्य सातवें या आठवें भाव में हो तो व्यक्ति को सुबह और शाम के समय कभी दान नहीं करना चाहिए.
यह सब लाल किताब ज्योतिष के अनुसार बने वर्ष फल तथा जन्मकुंडली के द्वारा ज्ञाता कर सकते है.
यदि उपरोक्त योग आपकी कुण्डली में नहीं है तो बेफिक्र हो कर अपनी श्रद्धा के अनुसार जो भी इच्छा हो दान कर धर्म लाभ उठा सकते है.केवल एक बार अपनी व अपने परिवार की जन्मकुण्डली की सही जांच करवा कर यह सुनिश्चित कर रख ले..
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